ऋषि पिप्लादेन उवाच – शनि स्तोत्र –
य एमिर्नामाभि: स्तौति – तस्य तुष्टो ददात्य सौ।
तदीयं तु भयं तस्य – स्वप्नेयि न भविष्यति।।
कोणस्थ : पिंगलो बभ्रु: – कृष्णो रुद्रोन्तको यम: –
सौरि: शनैश्चरो मन्द: – प्रीयतां में ग्रहोत्तम:।।
नमोर्क पुत्राय शनेश्चराय – नीहार वर्णा जन मे चकाय।
श्रुत्वा रहस्यं भव कामदश्च – फ़लप्रदो मे भवे सूर्य पुत्रं।।
नमोस्तु प्रेतराजाय – कृष्ण देहाय वै नमः।
शनैश्चराय ते तद्ध – शुद्धिबुद्धि प्रदायिने।।
नमस्ते कोणसंस्थाय, पिंगलाय च नमोस्तुते –
नमस्ते ब्रभूरूपाय, कृष्णाय च नमोस्तुते –
नमस्ते रौद्र देहाय, नमस्ते बालकाय च –
नमस्ते यमसंज्ञाय, नमस्ते सौरयेविभो –
नमस्ते मंदसंज्ञाय, शनैश्चर नमोस्तुते –
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्यच
शनि शांति अनुष्ठान – हर ढाई वर्ष में एक बार शनिदेव के राशी परिवर्तन पर शनि पलट – राशी परिवर्तन के उत्सव में होने वाले शांति अनुष्ठान की
शनि समय की शुभता प्राप्ति हेतू शनिदशा, शनि साढे साती, शनि ढैय्या का या किसीं भी प्रकार का बुरा शनिदेव का समय चलने तक ये उपाय करने से शनि समय को शुभ बनाया जा सकता है * प्रातः सूर्योदय के पूर्व उठकर 2 घंटे का मौन रखकर अपना ये पुण्यफल प्रार्थना द्वारा शनि देव की प्रसन्नता हेतु देवें । * प्रति दिन दोपहर 12 बजे तक का व्रत करें मात्र पेय पदार्थ ही लेंवे, नाश्ता न लें । * रात्रि 7 के बाद अन्न/नमक का त्याग करें । * शनि संबंधी साहित्य पढ़े-पढ़ाये , वितरित करें,इस में दिये ज्ञान का स्वयं भी लाभ उठावें * घर में शनि मंत्र / शनि भजन की सी. डी. बजायें l * शनि देव की यंत्र वाली काली गादी को तकिये के निचे सिरहाने मे रखें l * काला शनि कवच धारण करें l * शनि चिकित्सा के तेल की मालिश प्रति शनिवार को करके शनि समय को शुभ फलकारी बना सकते हैं ! शुभेच्छा…. शनि साधिका – डॉ विभाश्री दीदी जी
Read More >>शनि साधिका, प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्या डॉ. विभाश्री दीदी जी द्वारा लिखित ज्योतिष संबंधित और शनिदेव जी संबंधित साहित्य अपने निर्माण के लिये खरीदकर / उपहार स्वरूप भेंट देकर अपने आप को लाभान्वित करें I
जय शनिदेव – श्री शनि कथा / भागवत एवं ज्ञान सत्संग छोटे रूप में 4 दिन के होते हैं और बड़े रूप में 7 दिन के होते हैं ।
कलयुग के भगवान श्री शनिदेवजी का संक्षिप्त परिचय –
नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय च नमोस्तुते –
नमस्ते ब्रभूरूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते –
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते बालकाय च –
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरयेविभो –
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनेश्वर नमोस्तुते –
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्यच –
कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यमः –
सौरी: शनिश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत: –
एतानि दश; नामानी प्रात:रूत्थाय य: पठेत –
शनिश्चर कृता पीडा न कदाचित भविष्यती
सुनिये – श्री शनि आश्रम औरंगाबाद महाराष्ट्र के यू ट्यूब चैनल पर श्री शनि पुराण के 17 ऑडियो Episode अवश्य सुनें…पुराण का अर्थ होता है पौराणिक कथा, इतिहास, किसी भी विषय से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी, कल्याणकारी प्रेरक प्रसंग आदि। श्री शनि पुराण प्रस्तुत करने के पूर्व हमारे धर्म ग्रन्थों में प्रचलित 18 पुराणों के नाम जानना व उनकी जानकारी भी जरुरी थी क्योंकि ये श्री शनि पुराण 19 वां पुराण है। इस पुराण में शनिदेव से संबंधित कोई भी काल्पनिक कथा, प्रसंग नहीं है समग्र सभी शनि संबंधी संस्कृत स्तोत्रों का भावार्थ और पौराणिक कथा प्रेरक प्रसंग ही इसके स्तोत्र है। समस्त शनि संबधी समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिये अपनी कार्यसिद्धि के लिये पूरा श्री शनि पुराण अवश्य सुनें – रचयिता / लेखिका / वाचिका एस्ट्रोलॉजर, शनि साधिका डॉ विभाश्री दीदी जी – श्री शनि पुराण श्रवण हेतु – आपके YouTube चैनल Shri Shani Ashram Aurangabad को Subscribe अवश्य करें।
Read More >>शनैश्चरी अमावश्या के शनि शांति अनुष्ठान हेतु विशेष जानकारी मुहूर्त अनुसार ये शनि शांति अनुष्ठान मात्र शनैश्चरी अमावश्या के ही दिन होता हैं जिनकी जन्म पत्रिका में पूर्व जन्म संबंधी आठ प्रकार के शनिदोषों में से कोई भी दोष हैं वे स्वयं ही शनि शांति अनुष्ठान में बैठकर दोषों से मुक्ति पा सकते हैं कोई अन्य सदस्य उनकी अनुपस्थिती में नहीं बैठ सकता l
शनिदेव का जन्मोत्सव ( शनि जयन्ती पर्व ) 30 मई 2022 को है। इस दिन हम बहुत बड़ा सामूहिक उत्सव मना रहे हैं शनिदेव जी की प्रसन्नता के लिये सभी शनिभक्त प्रातः 10 से 12 बजे तक शनि आश्रम चिकलथाना औरंगाबाद में यह उत्सव मनायेंगे जिसमें प्रातः 10 बजे शनिदेव जी का शनि आश्रम औरंगाबाद की संस्थापिका, संचालिका शनि साधिका डॉ. विभाश्री दीदी जी द्वारा स्वयं विश्व कल्याण की भावना से, प्रार्थना के साथ शनि शांति तेल अभिषेक कराया जायेगा। इस सामूहिक तेल अभिषेक के बाद महाआरती और प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होगा। कृपया इस कार्यक्रम में पधारकर शनिकृपा का लाभ उठावें। दिनांक – 30 MAY 2022
विश्व की एक मात्र शनि साधिका डॉ. विभाश्री दीदीजी से ज्योतिष शनि संबंधी मार्गदर्शन एवं शनि कृपा के लाभ प्राप्ती हेतू आवश्यकता अनुसार इन शनि मंत्रो का स्वयं जाप कर सकते है I
शनि साधिका दीदीजी के मार्गदर्शन के बिना भी आप उनके द्वारा निर्मित, प्राणप्रतिष्ठात जो सिद्ध दुर्लभ वस्तुयें लेकर शनिकृपा का लाभ उठा सकते हैं – ये दुर्लभ चीजे हैं I
शनिदेव जी का कुंभ राशी में प्रवेश शनि पलट / शनि राशी परिवर्तन 29 अप्रेल 2022, दिन शुक्रवार, चतुर्दशी तिथि राशी परिवर्तन का विज्ञान – जिस किसी भी स्थान से शनिदेव की यात्रा प्रारंभ होती है पुनः ठीक उसी बिन्दु पर वापस आने हेतु उनको पूरे 30 वर्षों का समय लगता है। कुंभ राशी पर 29 अप्रेल 2022 को पूरे 30 वर्षो के बाद उनका पुनः उसी शून्य (जीरो) डिग्री पर प्रवेश होगा जहां से पहले हुआ था। किसी भी राशी पर (स्थान पर) भाव पर एक साथ ढाई वर्ष तक विराजमान रहने के कारण हम 30 वर्षो में ढाई वर्ष और कम करके यह गणित अनुसार कह सकते हैं कि साढ़े 27 वर्ष पूरे होने के बाद फिर से शनिदेव कुंभ राशी में ढाई वर्ष तक रहेंगे। शनिदेव का मार्गी होना यानि आगे चलना, बढ़ना आगे कि राशी का फल देना, और शनिदेव का वक्री होना यानि अपने से पीछे की राशी को प्रभावित करना, पीछे की राशी को फल प्रदान करना। 29.4.2022 से लेकर आगामी 12.7.2022 तक शनिदेव का यहां कुंभ राशी पर बैठने से ही फल देखा जायेगा। इस के बाद 12.7.2022 को रात्रि 10.28 मि. पर शनिदेव पुनः मकर राशी में वक्री होंगे, कौनसे नक्षत्र में शनिदेव का प्रवेश होगा, उससे शनिदेव की समय परिक्रमा का फल देखा जाता है। 22 जनवरी 2022 को श्रवण नक्षत्र में शनि प्रवेश होगा वह उनका मित्र नक्षत्र नहीं है। यह नक्षत्र चंद्रमा का है इस पर शनिदेव होना जो फल देगा इसी से भविष्य में देश, काल, वातावरण, प्राणी मात्र पर होने वाले शुभ अशुभ प्रभावों की गणना की जाती है। 29.4.2022 को शनि साढ़े साती बदलेगी – जानिये कुंभ राशी पर शनिदेव का प्रवेश होने पर कुंभ राशी वालों को शनि की साढ़े साती का ढाई वर्ष पूरा होने के बाद दूसरे ढाई वर्ष का यानि मध्यस्थ शनि की साढ़े साती का समय प्रारंभ हो जायेगा यानि हृदय की साढ़े साती लग जायेगी। मकर राशी से बाहर आने के कारण मकर राशी वालों को 29 अप्रेल 2022 से उतरती साढ़े साती का समय प्रारंभ हो जायेगा यानि शनि की साढ़े साती के उनके 5 वर्ष पूरे होकर आगामी ढाई वर्ष का समय और बचेगा। 12.7.2022 को शनिदेव पुनः मकर राशी में वक्री होंगे जो 18.1.2023 तक रहेंगे।अब शनिदेव मकर पर आयें थे तब मकर के पहले 9 नम्बर की धनु राशी पर उतरती साढ़े साती का समय चल रहा था अब 29 अप्रेल 2022 से धनु राशी के शनि की साढ़े साती का समय पूरा खत्म हो जायेगा। जब भी किसी भी राशी पर शनि की साढ़े साती का समय प्रारंभ होता है तब उसे चढ़ती साढ़े साती कहा जाता है। कुंभ राशी का 11 नम्बर है और मीन राशी 12 नम्बर की है शनिदेव जब भी 11 वीं कुंभ राशी में प्रवेश करेंगे तो इसके आगे वाली 12 नम्बर की मीन राशी को शनि की चढ़ती साढ़े साती लग जायेगी जो साढ़े सात वर्ष तक का समय लेगी। ढैया बदलेगा – शनि के ढ़ैये का विज्ञान जब भी हमारी राशी से शनिदेव के बैठने का स्थान चौथा होता है और आठवां होता है यानि किसी भी राशी से जब शनिदेव चौथे स्थान पर या आठवें स्थान पर विराजमान होते तब उस राशी को शनि का ढैया लग जाता है शनि के ढैये का ढाई वर्ष वाला समय उस राशी को प्रभावित करता है। जैसे अभी तक 7 नम्बर की तुला राशी पर शनि का ढैया था और 3 नम्बर की मिथुन राशी पर शनि का ढैया था क्योंकि 7 नम्बर की तुला राशी से दशवें नम्बर की मकर राशी पर शनिदेव बैठने के कारण चौथे स्थान पर आ रहे है थे और मिथुन राशी से उनका बैठने का स्थान आठवां हो रहा है इसलिये इन दोनों राशियों को शनि का ढैया लग रहा था। जो अब 29 अप्रेल 2022 को ढ़ैये की अवधि समाप्त हो जायेगी। नई राशीयों पर ढैया समय तुला राशी के बाद वृश्चिक राशी आती है 8 नम्बर की वृश्चिक राशी से कुंभ राशी के 11 नम्बर पर शनिदेव के बैठने के कारण चौथा स्थान बैठने का बनेगा इसलिये शनि का ढैया वृश्चिक को लगेगा। मिथुन राशी के बाद चौथे नम्बर की कर्क राशी आती है कर्क राशी से 11 नम्बर की कुंभ राशी का जहां शनिदेव बैठेंगे वहां का आठवां नम्बर आने से कर्क राशी को भी 29.4.2022 से ढाई वर्ष वाला शनि के ढ़ैये का समय चलेगा। * शनि साधिका डॉ विभाश्री दीदी ,औरंगाबाद, महाराष्ट्र
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