शनिदेव जी की राशी परिवर्तन पर – शनिवार का दिन ,शनि नक्षत्र,शनि अमावस्या,और शनि राशि परिवर्तन का अद्भुत मुहूर्त इस दिन होने वाला शनि शांति अनुष्ठान शनिदेव जी का मीन राशी में 29 – 03 – 2025 को प्रवेश होने पर होगा इसकी बुकिंग 27-08- 2024 से प्रारंभ होगी * शनि सेवा में नतमस्तक शनि आश्रम औरंगाबाद ( महा. ) 0240- 2471558, 9422704358

शनि पलट / शनि राशी परिवर्तन

शनिदेव जी का कुंभ राशी में प्रवेश शनि पलट / शनि राशी परिवर्तन 29 अप्रेल 2022, दिन शुक्रवार, चतुर्दशी तिथि राशी परिवर्तन का विज्ञान – जिस किसी भी स्थान से शनिदेव की यात्रा प्रारंभ होती है पुनः ठीक उसी बिन्दु पर वापस आने हेतु उनको पूरे 30 वर्षों का समय लगता है। कुंभ राशी पर 29 अप्रेल 2022 को पूरे 30 वर्षो के बाद उनका पुनः उसी शून्य (जीरो) डिग्री पर प्रवेश होगा जहां से पहले हुआ था। किसी भी राशी पर (स्थान पर) भाव पर एक साथ ढाई वर्ष तक विराजमान रहने के कारण हम 30 वर्षो में ढाई वर्ष और कम करके यह गणित अनुसार कह सकते हैं कि साढ़े 27 वर्ष पूरे होने के बाद फिर से शनिदेव कुंभ राशी में ढाई वर्ष तक रहेंगे। शनिदेव का मार्गी होना यानि आगे चलना, बढ़ना आगे कि राशी का फल देना, और शनिदेव का वक्री होना यानि अपने से पीछे की राशी को प्रभावित करना, पीछे की राशी को फल प्रदान करना। 29.4.2022 से लेकर आगामी 12.7.2022 तक शनिदेव का यहां कुंभ राशी पर बैठने से ही फल देखा जायेगा। इस के बाद 12.7.2022 को रात्रि 10.28 मि. पर शनिदेव पुनः मकर राशी में वक्री होंगे, कौनसे नक्षत्र में शनिदेव का प्रवेश होगा, उससे शनिदेव की समय परिक्रमा का फल देखा जाता है। 22 जनवरी 2022 को श्रवण नक्षत्र में शनि प्रवेश होगा वह उनका मित्र नक्षत्र नहीं है। यह नक्षत्र चंद्रमा का है इस पर शनिदेव होना जो फल देगा इसी से भविष्य में देश, काल, वातावरण, प्राणी मात्र पर होने वाले शुभ अशुभ प्रभावों की गणना की जाती है। 29.4.2022 को शनि साढ़े साती बदलेगी – जानिये कुंभ राशी पर शनिदेव का प्रवेश होने पर कुंभ राशी वालों को शनि की साढ़े साती का ढाई वर्ष पूरा होने के बाद दूसरे ढाई वर्ष का यानि मध्यस्थ शनि की साढ़े साती का समय प्रारंभ हो जायेगा यानि हृदय की साढ़े साती लग जायेगी। मकर राशी से बाहर आने के कारण मकर राशी वालों को 29 अप्रेल 2022 से उतरती साढ़े साती का समय प्रारंभ हो जायेगा यानि शनि की साढ़े साती के उनके 5 वर्ष पूरे होकर आगामी ढाई वर्ष का समय और बचेगा। 12.7.2022 को शनिदेव पुनः मकर राशी में वक्री होंगे जो 18.1.2023 तक रहेंगे।अब शनिदेव मकर पर आयें थे तब मकर के पहले 9 नम्बर की धनु राशी पर उतरती साढ़े साती का समय चल रहा था अब 29 अप्रेल 2022 से धनु राशी के शनि की साढ़े साती का समय पूरा खत्म हो जायेगा। जब भी किसी भी राशी पर शनि की साढ़े साती का समय प्रारंभ होता है तब उसे चढ़ती साढ़े साती कहा जाता है। कुंभ राशी का 11 नम्बर है और मीन राशी 12 नम्बर की है शनिदेव जब भी 11 वीं कुंभ राशी में प्रवेश करेंगे तो इसके आगे वाली 12 नम्बर की मीन राशी को शनि की चढ़ती साढ़े साती लग जायेगी जो साढ़े सात वर्ष तक का समय लेगी। ढैया बदलेगा – शनि के ढ़ैये का विज्ञान जब भी हमारी राशी से शनिदेव के बैठने का स्थान चौथा होता है और आठवां होता है यानि किसी भी राशी से जब शनिदेव चौथे स्थान पर या आठवें स्थान पर विराजमान होते तब उस राशी को शनि का ढैया लग जाता है शनि के ढैये का ढाई वर्ष वाला समय उस राशी को प्रभावित करता है। जैसे अभी तक 7 नम्बर की तुला राशी पर शनि का ढैया था और 3 नम्बर की मिथुन राशी पर शनि का ढैया था क्योंकि 7 नम्बर की तुला राशी से दशवें नम्बर की मकर राशी पर शनिदेव बैठने के कारण चौथे स्थान पर आ रहे है थे और मिथुन राशी से उनका बैठने का स्थान आठवां हो रहा है इसलिये इन दोनों राशियों को शनि का ढैया लग रहा था। जो अब 29 अप्रेल 2022 को ढ़ैये की अवधि समाप्त हो जायेगी। नई राशीयों पर ढैया समय तुला राशी के बाद वृश्चिक राशी आती है 8 नम्बर की वृश्चिक राशी से कुंभ राशी के 11 नम्बर पर शनिदेव के बैठने के कारण चौथा स्थान बैठने का बनेगा इसलिये शनि का ढैया वृश्चिक को लगेगा। मिथुन राशी के बाद चौथे नम्बर की कर्क राशी आती है कर्क राशी से 11 नम्बर की कुंभ राशी का जहां शनिदेव बैठेंगे वहां का आठवां नम्बर आने से कर्क राशी को भी 29.4.2022 से ढाई वर्ष वाला शनि के ढ़ैये का समय चलेगा। * शनि साधिका डॉ विभाश्री दीदी ,औरंगाबाद, महाराष्ट्र

सिद्ध दुर्लभ वस्तुयें

शनि साधिका दीदीजी के मार्गदर्शन के बिना भी आप उनके द्वारा निर्मित, प्राणप्रतिष्ठात जो सिद्ध दुर्लभ वस्तुयें लेकर शनिकृपा का लाभ उठा सकते हैं – ये दुर्लभ चीजे हैं I

  • दीदीजी द्वारा लिखी कोई भी बुक अपने जीवन जीने कि दिशा बदल सकती हैं
  • दुर्लभ C.D, V.C.D. ऑडियो कॅसेट दीदीजी के अनुभवो का भंडार, उनकी जप तप साधना का उपहार, आध्यात्मिक ज्योतिष प्रशिक्षण से संबंधित कोई भी C.D आपकी समस्या का समाधान बन सकती हैं
  • रुद्राक्ष, रुद्राक्षमाला पहनने / जाप करने हेतु
  • सिद्ध शनि माला ( काली हलिक माला ) पहनने / जाप करने हेतु
  • शनि कवच – शनि दशा, शनि की साढ़ेसाती / शनिदेव के ढैय्या हेतु
  • शनि महामृत्युन्जय कवच चमड़ेवाला – शारीरिक कष्ट निवारण हेतु
  • चंद्र कवच, सूर्य कवच, गुरु कवच, मंगल कवच, राहूं केतु शांति कवच आवश्यकता नुसार धारण करने हेतु
  • सिद्ध शनि तेल – शारीरिक कष्ट निवारण एवं शक्ती स्फूर्ती स्वास्थ लाभ हेतु प्रति दिन मालिश के लिये
  • प्राण प्रतिष्ठित शनि शांति यंत्र शनि कृपा प्राप्ती द्वारा मनोकामना कि पूर्ती हेतु इस यंत्र के साथ संलग्न पूजा पध्दती से यंत्र पूजन सभी शनि प्रभावित व्यक्ति कर सकते हैं
  • सिद्ध पेकेट यंत्र, जाप मालाये, अंगूठी, रुद्राक्ष, नाल आदी
  • सिद्ध रुद्राक्ष मालाये – पहनने / जाप करने हेतु

मंत्र चिकित्सा

विश्व की एक मात्र शनि साधिका डॉ. विभाश्री दीदीजी से ज्योतिष शनि संबंधी मार्गदर्शन एवं शनि कृपा के लाभ प्राप्ती हेतू आवश्यकता अनुसार इन शनि मंत्रो का स्वयं जाप कर सकते है I

  • मंत्र चिकित्सा
  • शनि बीज मंत्र
  • श्री शनि कृपा प्राप्ती हेतु – ऊँ शं शनैश्चराय नम: श्री शनि का पौराणिक मंत्र
  • शनि की साढ़ेसाती / शनिदेव के ढैय्या मे जाप हेतु – नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं। छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्
  • श्री शनि का रोग निवारक मंत्र – रोगी द्वारा स्वयं जाप करने हेतु – सूर्यपुत्रो दीर्घदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु मे शनि: तंत्रोक्त शनि मंत्र – कोर्ट कचहरी, शत्रू बाधा, विजय प्राप्ती हेतु – ऊँ प्राम प्रीम प्रौम सः शनैश्चराय नमः
  • श्री शनि के दस नाम – प्रातः सोकर उठते ही जाप हेतु – कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यमः – सौरी: शनिश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:
  • श्री शनि पत्नी के जाप नाम – घर की सुख, शांति, समृद्धी हेतु – ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलह प्रिया – कलही कंटकी चैव तुरंगी महिषीअजा – शनि नामाने, पत्नी नामेंतानि सन्नूपन पुमानी – दुःखांनि नाश्च्यन्ति नित्य सौभाग्य मेघते सुखम – शनिदेव जी की पत्नी के साथ में शनिदेव जी की पूजा उपासना करने से उनकी पत्नी के नामों का जाप करने से शनिदेव जी शीघ्र प्रसन्न होते है।

शनि जयन्ति 30 मई 2022

शनिदेव का जन्मोत्सव ( शनि जयन्ती पर्व ) 30 मई 2022 को है। इस दिन हम बहुत बड़ा सामूहिक उत्सव मना रहे हैं शनिदेव जी की प्रसन्नता के लिये सभी शनिभक्त प्रातः 10 से 12 बजे तक शनि आश्रम चिकलथाना औरंगाबाद में यह उत्सव मनायेंगे जिसमें प्रातः 10 बजे शनिदेव जी का शनि आश्रम औरंगाबाद की संस्थापिका, संचालिका शनि साधिका डॉ. विभाश्री दीदी जी द्वारा स्वयं विश्व कल्याण की भावना से, प्रार्थना के साथ शनि शांति तेल अभिषेक कराया जायेगा। इस सामूहिक तेल अभिषेक के बाद महाआरती और प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होगा। कृपया इस कार्यक्रम में पधारकर शनिकृपा का लाभ उठावें। दिनांक – 30 MAY 2022

  • समय – प्रातः 8 से सायं 5 बजे तक
  • स्थान – श्री शनि आश्रम, चिकलथाना, औरंगाबाद ( महा )
  • संचालिका – एस्ट्रॉलॉजर, शनि साधिका डॉ विभाश्री दीदी जी
  • संपर्क – श्री शनि मंदिर, N-2. सिडको, औरंगाबाद
  • 0240 2471558, 9422704358, 9822368923

अनुष्ठान हेतु विशेष जानकारी

शनैश्चरी अमावश्या के शनि शांति अनुष्ठान हेतु विशेष जानकारी मुहूर्त अनुसार ये शनि शांति अनुष्ठान मात्र शनैश्चरी अमावश्या के ही दिन होता हैं जिनकी जन्म पत्रिका में पूर्व जन्म संबंधी आठ प्रकार के शनिदोषों में से कोई भी दोष हैं वे स्वयं ही शनि शांति अनुष्ठान में बैठकर दोषों से मुक्ति पा सकते हैं कोई अन्य सदस्य उनकी अनुपस्थिती में नहीं बैठ सकता l

  • शनि संबंधी जन्म दोष
  • शनि नक्षत्र में जन्म ( शनि की महादशा में जन्म होना )
  • नीच का शनि ( यानि पूर्व जन्म का कर्ज ) होना l
  • पंचम स्थान (संतति स्थान पर) शनिदेव का स्वयं की राशी पर बैठना यानी संतान जन्म में विलम्ब होना / शिक्षा मे बाधा, पंचमेश शनिदोष होना
  • सप्तम स्थान पर अपनी राशी पर शनिदेव का बैठना यानि पति-पत्नी गृहस्थी स्थान पर शनि होने से विवाह सुख / गृहस्थी सुख में बाधा होना एवं व्यापार में बाधा सप्तमेश शनिदोष होना
  • शनिदेव का सूर्य के साथ बैठना यानि शनि सूर्य युति दोष (विष्टि योग) होना यश, किर्ति पद, प्रतिष्ठा और पिता पर शनिदेव का भार होना l
  • शनिदेव के साथ चंद्रमा का बैठना यानि (विष योग) होना दिल, दिमाग, मन मस्त्तिष्क, मां पर शनिदेव का भार होना l
  • शनि मंगल दोनो एक साथ होने से शनि (मंगल युति दोष) होना अपने आत्मविश्वास पर. विजयीमार्ग पर, प्रापर्टी, भाई पर शनिदेव का भार होने से अपनी संपत्ति का उपयोग चील कौये करें – स्वार्थी लोगों द्वारा ठगाये जायें ऐसा दोष होना l
  • शनिदेव के साथ राहू या केतू का होना यानि (प्रवज्जा दोष) सन्यास योग होना जिससे व्यक्ति ऊंचाई पर पहुंचने के बाद बार – बार फिर जमीन पर आता है असफल होता है l विवाह विलम्ब, गृहस्थी सुख मे बाधा अधिकार प्राप्ति में बाधा निवारण हेतु इस दोष की शनि शांति होती है l
  • प्रत्येक दोष की शांति हेतु 12 घंटे का समय लगता है l जिस रिश्ते पर शनि का भार है उसके साथ बैठकर अनुष्ठान किया जाना चाहिये जैसे विष्ठि दोष है तो पिता के साथ , विष योग है तो मां के साथ , प्रवज्जा दोष है और विवाहित हैं तो जीवनसाथी के साथ ( सपत्निक) शनि मंगल युति है तो भाई के साथ ही शनि शांति अनुष्ठान मे बैठना चाहिये जिससे दोनों को इसका लाभ मिले l साथ बैठना मुमकिन न होने पर अकेले पूजा करने पर भी पूरा लाभ प्राप्त होता है l
  • आपकी संपूर्ण अनुष्ठान पूजा सामग्री, शनिदान , पुरोहित दक्षिणा , शांति उपायों की वस्तुयें / भोजन प्रसाद आदि के खर्च हेतु (अनुष्ठान का शुल्क) निर्धारित है l
  • इस शांति अनुष्ठान की बुकिंग के समय अपने दोषों से संबंधित शनि शांति के पौराणिक उपाय दीदी से प्राप्त कर आपको अपने घरों मे करना अनिवार्य होगा

सुनिये – SHRI SHANI PURANA

सुनिये – श्री शनि आश्रम औरंगाबाद महाराष्ट्र के यू ट्यूब चैनल पर श्री शनि पुराण के 17 ऑडियो Episode अवश्य सुनें…पुराण का अर्थ होता है पौराणिक कथा, इतिहास, किसी भी विषय से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी, कल्याणकारी प्रेरक प्रसंग आदि। श्री शनि पुराण प्रस्तुत करने के पूर्व हमारे धर्म ग्रन्थों में प्रचलित 18 पुराणों के नाम जानना व उनकी जानकारी भी जरुरी थी क्योंकि ये श्री शनि पुराण 19 वां पुराण है। इस पुराण में शनिदेव से संबंधित कोई भी काल्पनिक कथा, प्रसंग नहीं है समग्र सभी शनि संबंधी संस्कृत स्तोत्रों का भावार्थ और पौराणिक कथा प्रेरक प्रसंग ही इसके स्तोत्र है। समस्त शनि संबधी समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिये अपनी कार्यसिद्धि के लिये पूरा श्री शनि पुराण अवश्य सुनें – रचयिता / लेखिका / वाचिका एस्ट्रोलॉजर, शनि साधिका डॉ विभाश्री दीदी जी – श्री शनि पुराण श्रवण हेतु – आपके YouTube चैनल Shri Shani Ashram Aurangabad को Subscribe अवश्य करें।

वर्तमान में शनिदेव जी का कार्यक्षेत्र

  • कलयुग के भगवान श्री शनिदेवजी *
    वर्तमान समय को कलयुग अर्थात मशिनरी कल-पुर्जे का युग कहा गया है I सुई से लेकर बडी बडी मशीन
    उदयोग, कल-कारखाने, रेलगाडी, हवाईजहाज से लेकर दैनिक जीवन में काम आने वाली स्टील ब्रर्तन, मकानों, भवनों में लगनेवाले अँगल, बीम, दरवाजे, खिडकिया आदी जिधर नजर दौडायें हमें लोहा ही नजर आयेगा I तेल, पेट्रोलियम, रसायन, कोयला, लोहा सब में शनि का निवास माना गया है I शनि व्यक्ती के अंदर रक्त ( ब्लड ), लौहातत्व ( आयरन ) के रूप में विराजमान होकर व्यक्ती को जीवन देता है I
    शनि आयु के मालिक है I बिना शनि के व्यक्ती लंबी आयु प्राप्त नही कर सकता I शनि के बिना आध्यात्मिक, सामूहिक, सुखी परिवार की कल्पना नहीं की जा सकती I समस्त कष्टो, संकटो, व्याधियो से मुक्त होकर ही व्यक्ती सुखमय दीर्घायू जीवन यापन कर सकता है I
    शनि देश का भाग्येश और प्रजातंत्र का रक्षक है I जिस कारण कितनी ही विपत्तिया इस देश के सामने क्यू ना आये, लेकिन किसी भी तरह इस देश का लोकतंञ समाप्त नही होगा I
    घर परिवार एवं राष्ट्र पर जो शनि प्रकोप चल रहे हैं, उस संकट को समाप्त करने का सब से अच्छा माध्यम शनि उपासना है I इससे घर परिवार एवं देश पर आये संकट समाप्त होंगे और सुख शांति समृद्धी कि वृद्धी होंगी I
  • शनि कृपा के सरल उपाय *
  • शनिवार के दिन सूर्योदय के पूर्व या सूर्यास्त के बाद पीपल के वृक्ष पर गुड मिश्रित जल चढाकर सरसो या तिल का दीपक जलाकर, अगरबत्ती लगा दे और प्रणाम करे I
  • शनि व्रत, शनि मंञ, शनि स्तोत्र, शनि भैरव चालीसा, बजरंगबाण का पाठ करे I शनि शांति पूजन मे भाग ले I
  • शनिदेव के चित्र / यंत्र अपने पूजा स्थली व पॉकेट मे रखे I
  • शनिवार को काले कुत्ते, काली गाय, या कौवो को मीठी रोटी खिलाये I
  • सुपात्र दीन-दुखी अपाहिज भिखारी को काले वस्त्र, उडद, तेल, या लोहे-स्टील से बनी दैनिक जीवन मे काम आनेवाली सामग्री दान दे I
  • मंदिर या तीर्थ निर्माण हेतू लौह दान करे I
  • अपने अधिनस्त नौकरो, सेवकों से सही व्यवहार करे I
  • समाज सेवा, पीडित मानवता, दीन दुखियों कि सेवा के लिये कुछ समय-धन निकाले I
  • शनि प्रतिमा का दर्शन, पूजन, तेल से अभिषेक ( स्नान ) करे I
  • शनि संस्थान द्वारा तैयार सिद्ध शनि स्तंभ, शनि कवच, शनि यंत्र धारण करे या स्थापना करे I
  • कोणस्थ, पिंगल, ब्रभु, कृष्ण, रौद्र, अंतक, यम, सौरी, शनैश्चर, मंद आदी का शनि के 10 नामो का प्रतिदिन जाप करे I

शनिदेव जी की पूजा सामग्री / शनिदान

  • शनिदेव जी की पूजा – साहित्य – सामग्री *
  • तेल – शरीर पीड़ा निवारण हेतु
  • काले तिल – सुख प्राप्ती हेतु
  • गुड़ / मिठाई – घटना – दुर्घटना निवारण हेतु
  • उड़द – शाररिक सुख हेतु
  • कला वस्त्र – प्रतिष्ठा बचाने तथा सम्मान बढाना हेतु
  • नारियल – बाधा / रुकावट / विलंब दूर करने हेतु
  • नमक – मन की पवित्रता हेतु
  • लोहदान – बहुत बडी समस्या / संकट निवारण हेतु
  • चारु – समिधा / हवन सामग्री – परिवार की शांति हेतु
  • शनिदान – दक्षिणा – आर्थिक कष्ट निवारण हेतु
  • फुलमाला – विजय प्राप्ती हेतु
  • समयदान – रुके हुये कार्य शीघ्र कराने हेतु
  • श्रम / सेवा दान – कर्म का फल शीघ्र प्राप्ती हेतु
  • ज्ञानदान – सुख समृद्धी से जीवन ज्ञापन हेतु

शनिस्तोत्र

  • शनिस्तोत्र –
    शनि की साढ़ेसाती दशा / ढैय्या / शनि दशा मे हर रोज सुबह शाम इसका पठन करने से शनि की पीडा नही होती सुख शांति समृद्धी परिवार मे बनी रहती है I

नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय च नमोस्तुते –
नमस्ते ब्रभूरूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते –
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते बालकाय च –
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरयेविभो –
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनेश्वर नमोस्तुते –
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्यच –
कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यमः –
सौरी: शनिश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत: –
एतानि दश; नामानी प्रात:रूत्थाय य: पठेत –
शनिश्चर कृता पीडा न कदाचित भविष्यती

भगवान श्री शनिदेवजी का संक्षिप्त परिचय

कलयुग के भगवान श्री शनिदेवजी का संक्षिप्त परिचय –

  • शनिदेवजी के विभिन्न नाम – शनेश्वर, सूर्यपुत्र, रविनंदन, छायानंदन, कोणस्थ, पिंगल, ब्रभु
  • रंग – शाम-कृष्ण
  • शनिदेव के पिता – भगवान सूर्य, माता – छाया ( सुवर्णा )
  • गोत्र – कश्यप
  • शनिदेव के गुरु – भगवान शिव
  • शनिदेव के मित्र – महाकाल भैरव, हनुमानजी
  • शनि का जन्म स्थल – सौराष्ट्र
  • शनि की प्रिय राशी – मकर, कुंभ
  • शनि का प्रिय दिन – शनिवार
  • शनि के प्रिय नक्षत्र – पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद
  • शनि का एक राशी पर प्रभाव – सात वर्ष
  • शनि की महादशा – 19 वर्ष
  • शनि के प्रख्यात तीर्थ – शनि शिंगणापूर, राक्षसभुवन, नस्तनपूर उज्जैन, तिरुनल्लार, शनि तीर्थ बिरझापुर
  • शनि की प्रिय वस्तू – काली वस्तुयें, लोहा, तेल, कोयला, उड़द, तिल
  • शनि का क्षेत्र – प्रजातंत्र, न्यायालय, प्रशासन, उद्योग, खनिज, विज्ञानिक, अनुसंधान, पत्रकारिता –
  • शनि की उत्पत्ती –
    धर्म ग्रंथो के अनुसार सूर्य की द्वितीय पत्नी सुवर्णा ( छाया ) के गर्भ से शनिदेवजी का जन्म हुआ I शनि के श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी सुवर्णा पर आरोप लगाया कि शनि मेरा पुत्र नही है I तभी से शनि अपने पिता से शत्रुभाव रखते है I शनिदेव ने अपनी साधना, तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न किया I
    शिवजी ने शनि को वरदान मांगने के लिये कहा तब शनिदेव ने प्रार्थना की कि युगो-युगो से मेरी माता की पराजय होती रही है I मेरे पिता सूर्य द्वारा बहुत ज्यादा अपमानित व प्रताडित किया गया है I अतः माता की ईच्छा है की मेरा पुत्र शनि अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उससे भी ज्यादा अधिक शक्तिशाली बने I
    तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान रहेगा I मानव तो क्या देवता भी तुम्हारे नाम से भयभीत रहेंगे I भगवान महाकाल शिव ने शनि को अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर अपनी संहारक शक्ती के उपयोग का अधिकार दिया I
  • शनि धरती का न्यायाधीश –
    शनि के स्वभाव के दो पक्ष है I एक तरफ वह तपस्वी, त्यागी, आत्म-स्वाभिमानी, कठोर अनुशासन प्रिय, न्याय प्रिय है और दुसरी ओर हमारे शुभ अशुभ कर्मो के फलदाता हैं I यदि किसी ने कर्म खोटे किये हैं तो उसे खोटा फल मिलेगा I इसमें उस न्यायाधीश शनि का क्या दोष ? शनि का संबंध जीवन कि नैतिकता -अनुशासन से है I इसकी अवहेलना करने पर वह कुपित हो जाते है I शनि का सुख प्रभाव जहाँ व्यक्ती के लिये सुखद व कल्याणकारी होता है वही शनि की प्रतिकूल स्थिती बहुत पीडादायक होती है I
    यह कितनी बडी भ्रांती है, शनि ग्रहो मे न्यायाधीश है, काले वस्त्र है इनके क्यो ? काले रंग पर कोई रंग नही चढता, न्याय सदैव कडवा होता है, कठोर होता है I
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