वर्ष में शनि अमावश्या पर होने वाले शनि शांति अनुष्ठान की नियमावली
शनि शांति अनुष्ठान में भाग लेने वालों को एक दिन पूर्व सायं 5 बजे तक N – 2, सिडको, औरंगाबाद के शनि मंदिर में पहुँचना होगा जहाँ 9 बजे तक अनुष्ठान तैयारी/संकल्प/उपाय चलेगा
अगले दिन प्रातः 8 बजे शनि आश्रम, चिकलथाना, में अनुष्ठान आरंभ होगा और सायं 5 बजे समापन होगा l
जन्मदोष शांति के इस अनुष्ठान की बुकिंग का फार्म जमा करने के समय अनुष्ठान के निर्धारित शनिदान की आधी राशी जमा की जाती है l आपको एक शनि जन्मदोष होनेपर अनुष्ठान शुल्क ( शनिदान ) जो निर्धारित है वही देना होगा यदि इसके साथ जन्मपत्रिका में एक से अधिक जन्मदोष हैं तो अतिरिक्त शुल्क जमा करके आपको शनि शांति अनुष्ठान में भाग लेना चाहिये l
आपके अनुष्ठान की जितनी भी बकाया ( शेष ) राशी है अनुष्ठान पूर्व उसको जमा कराकर अनुष्ठान में बैठने का कार्ड (बैच) एवं यज्ञ कुंड नं. भी प्राप्त करना होगा ।
विवाहित व्यक्ति सपत्निक पूजा में बैठ सकते हैं । इसके अलावा परिवार के किसी भी सदस्य को पूजा में साथ बैठने की अनुमति नहीं है l
पूजा की बुकिंग जिसके नाम से की गई है उसका व्रत रखना अनिवार्य है । दोष के अनुसार साथ में भाग लेने वाले व्यक्ति का व्रत करना या नहीं करना उनकी स्वेच्छा पर निर्भर है ।
पुरुष वर्ग ( भाईयों को ) धोती पहनना अनिवार्य है, धोती के साथ ऊपर कोई भी शर्ट/कुर्ता आदि पहना जा सकता है ।
महिला वर्ग को ( बहनों को ) केशरी प्रिंट वाला कोई भी वस्त्र पहनना अनिवार्य है ।
प्रातः 8 बजे से लेकर सायं 5 बजे तक अनुष्ठान स्थल से कहीं भी बाहर नहीं जा सकते, परंतु सायं अनुष्ठान की समाप्ति के बाद आप अपनी आवश्यकता नुसार कहीं भी ,किसी भी स्थान पर जा सकते हैं ।
मुख्य यजमान जिन्होने अनुष्ठान के अलावा मुख्य यजमानी ( अन्नदान का ) भी स्वेच्छा से जमा किया हैं उन को सायं 7 बजे की महाआरती अपने द्वारा करनी अनिवार्य है ।
दोनों दिन के अनुष्ठान की पूर्ण पूजा/पुरोहिती संचालन कार्य शनि साधिका डॉ. विभाश्री दीदी जी के ही द्वारा होगा ।
आपके पूजन साहित्य / पानी/ दूध/चाय/फलाहार/भोजन की फ्री उत्तम व्यवस्था होगी परंन्तु अपने ठहरने की व्यवस्था आपको स्वयं अपनी ओर से स्वेच्छानुसार करनी होगी ।