शनिदेव जी की राशी परिवर्तन पर – शनिवार का दिन ,शनि नक्षत्र,शनि अमावस्या,और शनि राशि परिवर्तन का अद्भुत मुहूर्त इस दिन होने वाला शनि शांति अनुष्ठान शनिदेव जी का मीन राशी में 29 – 03 – 2025 को प्रवेश होने पर होगा इसकी बुकिंग 27-08- 2024 से प्रारंभ होगी * शनि सेवा में नतमस्तक शनि आश्रम औरंगाबाद ( महा. ) 0240- 2471558, 9422704358
अनुष्ठान हेतु विशेष जानकारी

अनुष्ठान हेतु विशेष जानकारी

शनैश्चरी अमावश्या के शनि शांति अनुष्ठान हेतु विशेष जानकारी मुहूर्त अनुसार ये शनि शांति अनुष्ठान मात्र शनैश्चरी अमावश्या के ही दिन होता हैं जिनकी जन्म पत्रिका में पूर्व जन्म संबंधी आठ प्रकार के शनिदोषों में से कोई भी दोष हैं वे स्वयं ही शनि शांति अनुष्ठान में बैठकर दोषों से मुक्ति पा सकते हैं कोई अन्य सदस्य उनकी अनुपस्थिती में नहीं बैठ सकता l

  • शनि संबंधी जन्म दोष
  • शनि नक्षत्र में जन्म ( शनि की महादशा में जन्म होना )
  • नीच का शनि ( यानि पूर्व जन्म का कर्ज ) होना l
  • पंचम स्थान (संतति स्थान पर) शनिदेव का स्वयं की राशी पर बैठना यानी संतान जन्म में विलम्ब होना / शिक्षा मे बाधा, पंचमेश शनिदोष होना
  • सप्तम स्थान पर अपनी राशी पर शनिदेव का बैठना यानि पति-पत्नी गृहस्थी स्थान पर शनि होने से विवाह सुख / गृहस्थी सुख में बाधा होना एवं व्यापार में बाधा सप्तमेश शनिदोष होना
  • शनिदेव का सूर्य के साथ बैठना यानि शनि सूर्य युति दोष (विष्टि योग) होना यश, किर्ति पद, प्रतिष्ठा और पिता पर शनिदेव का भार होना l
  • शनिदेव के साथ चंद्रमा का बैठना यानि (विष योग) होना दिल, दिमाग, मन मस्त्तिष्क, मां पर शनिदेव का भार होना l
  • शनि मंगल दोनो एक साथ होने से शनि (मंगल युति दोष) होना अपने आत्मविश्वास पर. विजयीमार्ग पर, प्रापर्टी, भाई पर शनिदेव का भार होने से अपनी संपत्ति का उपयोग चील कौये करें – स्वार्थी लोगों द्वारा ठगाये जायें ऐसा दोष होना l
  • शनिदेव के साथ राहू या केतू का होना यानि (प्रवज्जा दोष) सन्यास योग होना जिससे व्यक्ति ऊंचाई पर पहुंचने के बाद बार – बार फिर जमीन पर आता है असफल होता है l विवाह विलम्ब, गृहस्थी सुख मे बाधा अधिकार प्राप्ति में बाधा निवारण हेतु इस दोष की शनि शांति होती है l
  • प्रत्येक दोष की शांति हेतु 12 घंटे का समय लगता है l जिस रिश्ते पर शनि का भार है उसके साथ बैठकर अनुष्ठान किया जाना चाहिये जैसे विष्ठि दोष है तो पिता के साथ , विष योग है तो मां के साथ , प्रवज्जा दोष है और विवाहित हैं तो जीवनसाथी के साथ ( सपत्निक) शनि मंगल युति है तो भाई के साथ ही शनि शांति अनुष्ठान मे बैठना चाहिये जिससे दोनों को इसका लाभ मिले l साथ बैठना मुमकिन न होने पर अकेले पूजा करने पर भी पूरा लाभ प्राप्त होता है l
  • आपकी संपूर्ण अनुष्ठान पूजा सामग्री, शनिदान , पुरोहित दक्षिणा , शांति उपायों की वस्तुयें / भोजन प्रसाद आदि के खर्च हेतु (अनुष्ठान का शुल्क) निर्धारित है l
  • इस शांति अनुष्ठान की बुकिंग के समय अपने दोषों से संबंधित शनि शांति के पौराणिक उपाय दीदी से प्राप्त कर आपको अपने घरों मे करना अनिवार्य होगा
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